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इंसानियत शर्मसार, जौनपुर में थाने के सामने नग्न होकर किन्नरों ने किया प्रदर्शन

 


BARABANKI NEWS... उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसने इंसानियत को एक बार फिर शर्मसार कर दिया है। ये वीडियो बरसठी थाना परिसर का है। जिसमें तकरीबन दर्जन भर किन्नर थाने में प्रदर्शन करते दिखाई दे रहे हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि इनमें से आधा दर्जन से ज्यादा किन्रर एकदम नग्न हैं। जबकि कुछ किन्नर अर्धनग्न हैं। ये सभी किन्नरों पर पिटाई के आरोपियों पर कार्रवाई ना होने से नाराजा थे। ये वीडियो ऐसा है कि इस मंच शेयर भी नहीं किया जा सकता है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 15 सितंबर को जिले के बरसठी थाना क्षेत्र के सुखलालगंज में किन्नरों के एक समूह पर गांव के प्रधान और उनके साथियों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया था। पीड़ित किन्नर बबली ने आरोप लगाया था कि प्रधान आशा किन्नर ने गांववालों के साथ मिलकर यह हमला करवाया था, जिसमें कई किन्नर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस हमले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें किन्नरों को स्कॉर्पियो गाड़ी से जबरन उठाते देखा जा सकता है।
पीड़ित किन्नरों का आरोप था कि उन्हें गाड़ी में भरकर एक कमरे में ले जाया गया, जहां उनके साथ अमानवीय बर्ताव किया गया। उनके प्राइवेट पार्ट्स पर चोट पहुंचाई गई और मिर्च भरने जैसी घिनौनी हरकतें की गईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बबली किन्नर की शिकायत पर पुलिस ने सभी घायलों को जिला अस्पताल भेजकर मेडिकल परीक्षण करवाया, लेकिन मामला दर्ज नहीं किया गया था। पीड़ित किन्नरों ने चेतावनी दी थी कि अगर उन्हें जल्द इंसाफ नहीं मिला, तो वे अपने न्याय के लिए आंदोलन करेंगे। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई दिन बीतने के बाद भी जब कार्रवाई नहीं हुई, तो किन्नरों ने थाने पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शन के दौरान किन्ररों के एक समूह ने बरसठी थाने के सामने जमकर बेहूदगी की हदें पार करते हुए हंगामा काटा। इस दौरान प्रदर्शन करने वाले किन्नरों में तकरीबन आधा दर्जन किन्नार पूर्णता नग्न थे, जबकि कुछ अर्धनग्न थे। वो मार खाने वाली किन्नर के बदन पर चोट के निशान दिखा रहे थे और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। 

 वहीं अब इस प्रदर्शन का 52 सेंकेड एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लोग बिना मामले को समझे आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। किन्नरों के इस प्रदर्शन को सभ्य समाज में कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन ये प्रदर्शन हमारे सिस्टम की कार्य प्रणाली पर सवाल जरूर खड़ा करता है।
 
सवाल यह है कि आखिर कब तक किन्नर समाज को इस तरह की बर्बरता और भेदभाव सहना पड़ेगा? क्या प्रशासन और समाज इनकी पीड़ा को समझने के लिए तैयार नहीं हैं? संविधान ने तो इन्हें सम्मान और समान अधिकार दे दिए हैं, लेकिन समाज कब उन्हें सम्मान की नजर से देखेगा? इतना कुछ होने के बाद जब ऐसी वारदात के आरोपियों पर कार्रवाई के लिए किन्नरों को इस तरह का प्रदर्शन करना पड़ेगा, तो सिस्टम की काम करने की प्रणाली पर सवाल तो बनेगा ही। इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कानून के रखवाले कब जागेंगे और समाज के सबसे हाशिए पर खड़े वर्ग को इंसाफ देंगे।
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