Barabanki News... जनपद में नवाचार, आधुनिक कृषि एवं जल-जैविकी आधारित उद्यमों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से DM शशांक त्रिपाठी ने तहसील नवाबगंज अंतर्गत दो महत्त्वपूर्ण स्थलों का निरीक्षण किया। इस क्रम में उन्होंने पहले कोटवाकला के मजरा दफेदार पुरवा में प्रगतिशील किसान मोइनुद्दीन द्वारा संचालित पॉलिहाउस में की जा रही जरबेरा एवं ग्लैडियस फूलों की खेती का अवलोकन किया। तत्पश्चात ग्राम मिश्रीपुर मजरे निगरी स्थित अत्याधुनिक देवा फिशरीज प्लांट का निरीक्षण कर वैज्ञानिक तकनीक से संचालित मत्स्य पालन की व्यवस्था देखी।
निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने किसान द्वारा अपनाई गई आधुनिक तकनीकों, बाजार तक पहुंच एवं कृषि की दिशा में किए गए निजी प्रयासों की सराहना करते हुए इसे जनपद के अन्य किसानों के लिए प्रेरणादायक मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की नवाचारी खेती न केवल किसानों की आय को कई गुना बढ़ा सकती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर सकती है।
प्रगतिशील किसान मोइनुद्दीन ने अवगत कराया कि उन्होंने फूलों की खेती की शुरुआत एक छोटे से पॉलिहाउस से की थी, जो आज लगभग 1 एकड़ क्षेत्रफल में विस्तारित होकर व्यावसायिक स्तर पर संचालित हो रहा है। उन्होंने बताया कि जरबेरा के साथ ग्लैडिएटर फूलों की खेती भी की जा रही है, जिन्हें दिल्ली तक भेजा जाता है। किसानों के लिए सुविधाजनक परिवहन हेतु फतेहपुर रेलवे स्टेशन पर 'सत्याग्रह एक्सप्रेस' ट्रेन को 10 मिनट के लिए रोके जाने की व्यवस्था रेलवे द्वारा की गई है, जिससे ताजे फूल समय से बाजार में पहुंच सकें।
जिलाधिकारी ने किसान से उनके संघर्षों, खेती में आए बदलावों और तकनीकी सहयोग के अनुभव साझा करने को कहा, ताकि अन्य किसान भी इससे सीख सकें। उन्होंने यह भी जाना कि किस प्रकार गांव के अन्य लोग भी इससे प्रेरित होकर फूलों की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
निरीक्षण के दौरान पॉलिहाउस के समीप बने कोल्ड स्टोरेज का भी अवलोकन किया गया। वहां पर उपस्थित आलू उत्पादक किसानों से जिलाधिकारी ने कीमत, लागत, भंडारण एवं विपणन से जुड़ी जानकारियाँ प्राप्त कीं और आवश्यक सुझाव दिए।
देवा फिशरीज प्लांट – आधुनिक मत्स्य पालन का आदर्श केंद्र
इसके उपरांत जिलाधिकारी ने ग्राम मिश्रीपुर मजरे निगरी में स्थित देवा फिशरीज प्लांट का निरीक्षण किया, जो कि वैज्ञानिक तकनीकों पर आधारित अत्याधुनिक मत्स्य पालन का उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस प्लांट में मात्र 25×25 फीट के टैंक में 7000 मछलियाँ 60,000 लीटर पानी में विकसित की जाती हैं। करीब आधे एकड़ क्षेत् में फैले इस संयंत्र में कुल 38 टैंक निर्मित हैं, जहां पर जल शोधन की विशेष व्यवस्था की गई है।
जिलाधिकारी ने टैंकों की जल गुणवत्ता,अमोनिया स्तर, और pH नियंत्रण प्रणाली का गहनता से निरीक्षण करते हुए सुझाव दिया कि इस प्रणाली से निकलने वाले जल का उपयोग ऊसर भूमि के सुधार में किया जा सकता है। प्लांट के मैनेजर ने बताया कि जल में सिरके और एल्गी का नियंत्रित उपयोग कर अमोनिया व पीएच को संतुलित रखा जाता है। उन्होंने व्यवसाय की सफलता, विपणन तकनीकों व मछलियों की बिक्री प्रक्रिया की जानकारी भी साझा की।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि बाराबंकी में नवाचारी कृषि मॉडल्स और वैज्ञानिक तकनीकों पर आधारित मत्स्य पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिल रही है। ऐसे प्रयास न केवल आयवर्धन में सहायक हैं, बल्कि अन्य किसानों व युवाओं को आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं।निरीक्षण में जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, मत्स्य विभाग के अधिकारी एवं अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
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