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UP: किसानों को एक और सौगात, SDN का शुभारंभ, पानी की बचत, लागत में कमी के साथ पर्यावरण का होगा संरक्षण

 

Barabanki News... प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को औपचारिक रूप से ‘समृद्ध धान नेटवर्क (SDN)’ का शुभारंभ किया। यह नेटवर्क राज्य में डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने और टिकाऊ, जलवायु-स्मार्ट धान उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए गठित एक अग्रणी बहु-हितधारक मंच है।

 कृषि निदेशालय के सभागार में आयोजित पहले एसडीएन सम्मेलन के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों को टिकाऊ तकनीकों से जोड़ने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जो पानी बचाती हैं, लागत घटाती हैं और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने डीएसआर को एक ऐसी तकनीक बताया जो बिना पैदावार घटाए लाभ पहुंचा सकती है, जिससे फसल चक्र में भी सुधार होगा और किसान पहले कटाई कर सकेंगे। उन्होंने एसडीएन के सभी साझेदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि डीएसआर एक आधुनिक कृषि तकनीक है जो पारंपरिक रोपाई की जगह सीधे बीज बोने पर आधारित है। यह तकनीक 30 प्रतिशत तक पानी की बचत, 30 प्रतिशत तक मीथेन गैस उत्सर्जन में कमी और श्रम लागत में भारी कटौती का वादा करती है। बदलते मौसम, घटते भूजल स्तर और बढ़ती लागत के वर्तमान परिदृश्य में, डीएसआर उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्य के लिए एक व्यवहारिक और लाभकारी विकल्प के रूप में उभर रहा है। 

 कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने DSR तकनीक की संभावनाओं को रेखांकित करते हुए इसे जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन और श्रमिकों की कमी जैसी समस्याओं का समाधान बताया। उन्होंने कृषि विभाग से DSR को हर किसान तक पहुंचाने के लिए जरूरी मशीनों पर सब्सिडी की प्राथमिकता तय करने का आग्रह किया। 

 इस कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रमुख सचिव कृषि, रविंद्र ने बताया कि एसडीएन एक ऐसा मंच बनेगा जो आंकड़ों की निगरानी, सहयोग और तालमेल को बढ़ावा देगा। उन्होंने DSR की उपयुक्तता का नक्शा तैयार करने, कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से पारंपरिक किस्मों का परीक्षण करने, और पूर्वी यूपी के 75 डीएसआर क्लस्टर्स को मान्यता देने के निर्देश दिए। SDN के सदस्य सचिव और कृषि निदेशक डॉ. जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि इस मंच का लक्ष्य आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश में 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीएसआर तकनीक को अपनाना है, ताकि इसकी पूरी क्षमता का लाभ उठाया जा सके।

 इस पहली बैठक में कृषि विभाग के अंतर्गत SDN सचिवालय की स्थापना, SDN कोर समूह की घोषणा और जिम्मेदारियों का निर्धारण, 2025 खरीफ सीजन के लिए DSR को बढ़ाने की रणनीति तैयार करना, राज्य की प्राथमिकताओं के साथ एसडीएन के उद्देश्यों का समन्वय जैसे प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए गए। 

 इस बैठक में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और कोका-कोला फाउंडेशन जैसे विकास भागीदारों की विशेष उपस्थिति रही। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने SDN और उत्तर प्रदेश एक्सीलरेटर कार्यक्रम के साथ मिलकर काम करने पर उत्साह व्यक्त किया, और वैज्ञानिक शोध तथा प्रशिक्षण के माध्यम से टिकाऊ धान प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया।

 SDN के लॉन्च से पहले, अप्रैल से मई 2025 के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की गईं, जिसमें सैकड़ों किसान, कृषक उत्पादक संगठन, कृषि विज्ञान केंद्र और जिला कृषि अधिकारी शामिल हुए। 30 से अधिक चैंपियन किसानों दो दिवसीय प्रशिक्षण देकर डीएसआर तकनीक सिखाई गई। SDN अब इन प्रयासों को क्लस्टर विकास, तकनीकी पहुंच और फील्ड वैलिडेशन के साथ आगे बढ़ाएगा। 

SDN ने यह तय किया है कि आने वाले महीनों में प्रमाण आधारित और परिणाम केंद्रित एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा। अगली बैठक नवंबर 2025 में खरीफ सीजन के बाद आयोजित होगी, जिसमें DSR के प्राप्त परिणामों की समीक्षा और 2026 की रणनीति पर चर्चा होगी। 

 इस बैठक में सरकारी विभागों, शोध संस्थानों, निजी कंपनियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि विज्ञान केंद्रों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों सहित 110 प्रतिभागियों ने भाग लिया।


Launch of 'Samruddha Paddy Network (SDN)' to save water, reduce cost and protect environment

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