ताज़ा खबरें

7/recent/ticker-posts

Barabanki: आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने सौंपा ज्ञापन, अनुच्छेद 341 से धार्मिक प्रतिबंध हटाने की मांग

 

Barabanki News... अनुच्छेद 341 पर धार्मिक प्रतिबंध लगाए जाने की बरसी पर सोमवार को आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने हर बार की तरह इस बार भी राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर अनुच्छेद 341 से धार्मिक पाबंदी हटाने की मांग की। साथ ही कांग्रेस सरकार पर जमकर निशाना भी साधा। 

आपको बता दें कि सन 1950 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में अनुच्छेद 341(3) का संशोधन किया था। इस संशोधन में हिंदू और सिख शब्द जोड़कर आरक्षण को केवल इन्हीं धर्मों के पिछड़े, अति पिछड़े और दलित वर्गों तक सीमित कर दिया गया था। जबकि मुसलमानों को इसके लाभ से वंचित कर दिया था। इसके विरोध में आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज लंबे समय से आवाज बुलंद करता आ रहा है। इस मामले को लेकर हर साल 10 अगस्त को महामहिम को ज्ञापन भी देता है। 10 अगस्त को रविवार होने के कारण सोमवार को आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन प्रशासन को सौंपा। इस मौके पर आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने कहा कि कांग्रेस से ज्यादा भेदभाव की राजनीति शायद ही किसी ने की हो और अंग्रेजों की तर्ज पर फूट डालो और राज करो इनका मूल मंत्र रहा है। वरना आज दलित मुसलमान व ईसाई भी अनुसूचित जाति में शामिल होकर समानता के अधिकार का डंका बजा रहा होता। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की कि हिन्दू, सिख व बौद्ध की भाति दलित मुस्लिम व ईसाई को भी अनुसूचित जाति में सम्मिलित किया जाए, ताकि समानता के अधिकार को मूर्त रूप दिया जा सके और इन जातियों को भी उनके हक व हुकूक हासिल हो सकें। 

 आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जिलाधिकारी के माध्यम से भेजे गए पत्र में उक्त मांग रखी है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि कांग्रेस का दलित मुस्लिम विरोधी चेहरा उजागर हो गया। उसे सिर्फ विदेशी अशराफ मुस्लिम हमेशा रास आते रहे। विशुद्ध दलित मुसलमान को उनके हक से वंचित रखा गया। आर्टिकल 341/3 बोर्ड में सात लोग थे जिसमें पाँच विदेशी मुसलमान थे। इसलिए पसमांदा मुसलमानों के साथ ये नइंसाफी हुई। उन्होंने राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में उक्त भेदभाव का जिक्र करते हुए कहा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15. 16. 21, 25 में साफ लिखा है कि भारत में बसने वाला इंसान, चाहे वह किसी धर्म, जाति, लिंग, नस्ल का हो उसके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा, मगर आजादी के बाद 10 अगस्त 1950 को राष्ट्रपति अध्यादेश शेड्यूल कास्ट 341 के पैरा 3 के तहत सिर्फ हिंदू दलित को अनुसूचित जाति का लाभ दिया गया। दूसरे धर्म के मानने वालों को अनुसूचित जाति का लाभ लेने से वंचित कर दिया गया है। सिखों को 1956 में और बौद्धों को 1990 में उसका लाभ मिला लेकिन मुसलमान और ईसाई आज तक इस लाभ से वंचित हैं। दलित तो दलित है, उसका धार्मिक विश्वास और पूरा कुछ भी हो क्या यही सामान नागरिकता का संदेश है ? यदि ऐसा है तो समानता में असमानता मौलिक अधिकार का हनन है और जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 21, 25 की खिलाफवर्जी और संविधान विरुद्ध है जो हिंदुस्तान को एक सेक्यूलर और लोकतांत्रिक मुल्क होने की जमानत देता है। 

 वसीम राईन ने कहा कि मांगों की प्रतिपूर्ति राष्ट्रपति के स्वविवेक पर आधारित है। इसे स्वीकार किये जाने से सभी पसमांदा समाज के नागरिकों की सच्ची समाजवादी सहानुभूति एवं विचारों का प्रकटीकरण हो होगा साथ ही दलित मुसलमानों और दलित दलित ईसाइयों की तरक्की का रास्ता खुलेगा। इसलिए उक्त मांग की स्वीकृति एवं संस्तुति प्रदान की जाए। इस मौके पर संगठन के मोदी सरकार ने आर्टिकल ३४१ पर एक आयोग गठित किया है कांग्रेस ने ८० साल से कुछ नहीं किया था अब दलित पसमांदा मुसलमानों को काफ़ी उम्मीद हैं मोदी जी से की हम लोगो के साथ इंसाफ़ होगा। राहुल गांधी तमाम तरह के मुद्दे उठा रहे हैं दलित मुसलमानों और ईसाइयों को आर्टिकल 341/3 में सामिल करने की लोकसभा आवाज उठाएं। अगर पसमांदा मुसलमानों के हमदर्द हैं या सिर्फ़ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करना है। दलित मुसलमानों की आवाज़ को उठा कर उनकी नेहरू सरकार के लगे संविधान पर दाग को मिटाए! 

इस अवसर पर महाज़ के जिला उपाध्यक्ष हाजी नूरुल हसन अंसारी, जावेद राईन, मोहम्मद सादाब, कारी मकबूल, नदीम राईन, रऊफ राईन, गुफरान राईन, अब्दुल्ला राईन, गुलजार कुरैशी, अनीस राईन, निसार राईन, खलील राईन, सद्दाम इद्रीशी, इमरान राईन, इस्लामुद्दीन, मोहम्मद शादाब अंसारी, मोहम्मद कौनेन अंसारी, मोहम्मद अयाज अंसारी, कुतुबुद्दीन राईन, शफीक राईन, जावेद जमाल आदि सैकड़ो लोग मौजूद रहे ।

All India Pasmanda Muslim Mahaz submits memorandum, demands removal of religious ban on Article 341


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ