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चरागों के बदले मकां जल रहे हैं..... जयंती पर खूब याद आए खुमार

 

 

BARABANKI NEWS.... शहंशाह ए गज़ल ख़ुमार बाराबंकवी की यौमे पैदाइश पर रविवार को नगर के स्टेशन रोड स्थित मुगल दरबार में खुमार मेमोरियल अकादमी की तरफ से सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान हिन्दी और उर्दू जुबान में काम करने वाले दो शख्सियात को अवार्ड से नवाजा गाया। शायर और अदीब सगीर नूरी को अजीज बाराबंकवी अवार्ड और हिन्दी साहित्यकार स्व कल्पनाथ सिंह को मरणोपरांत पं हनुमान प्रसाद त्रिपाठी उर्फ आजिज मातवी अवार्ड से सम्मानित किया गया। ये सम्मान उनके पुत्र सर्वेश कुमार सिंह ने ग्रहण किया।
 सेमिनार के मेहमान खुसूसी बनारस के सलमान बशर ने कहा कि खुमार साहब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके लिखे गीत, गज़ल और शायरी ने उन्हें आज भी लोगों में दिली इंकलाब पैदा करते हैं। उन्होंने देश ही नहीं पूरी दुनिया में बाराबंकी का नाम अपनी दमदार शायरी की बदौलत रौशन किया है। फिल्मी दुनिया में भी खुमार साहब ने अपने गीतों के माध्यम से अपनी पहचान बनाई है सैकड़ों उनके लिखे हुए गाने आज भी लोग गुनगुनाते हैं। खुमार की शायरी ने आवामी कौम पर पुरजोर असर किया। उन्होंने उनकी एक गज़ल को पढ़ते हुए कहा कि ‘हुस्न जब मेहरां हो तो क्या कीजिए, इश्क़ के मग़्फ़िरत की दुआ कीजिए।’

   
पूर्व सांसद जफर अली नकवी ने कहा कि बाराबंकी की सरजमीं पर खुमार बाराबंकवी, मौलाना अब्दुल माजिद दरियाबादी, शमशी मिनाई, सागर आज़मी, आजिज बाराबंकवी जैसी अदबी शख्सियतों ने उर्दू शायरी को एक अलग पहचान दी। खुमार साहब ने मौजूदा वक्त को पहले ही महसूस कर लिया था तभी तो उन्होंने लिखा कि ‘चरागों के बदले मकां जल रहे हैं, नया है ज़माना नई रोशनी है।’ उन्होंने प्रोग्राम की सताइश करते हुए कहा कि ऐसे प्रोग्रामों से हमारा समाजी ताना-बाना मजबूत होता है।

   

कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री अरविन्द कुमार सिंह गोप ने कहा कि खुमार बाराबंकवी की शायरी ने दिलों को जोड़ने का काम किया। उन्होंने सीमित संसाधनों से अपनी ईमानदारी और अखलाक से बाराबंकी का नाम देश दुनिया में नाम रोशन किया। श्री गोप ने बताया कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा कवियों, शायरों और साहित्यकारों को सम्मान किया है और उन्हें आगे बढ़ाने का मौका दिया है। यह सीख हमें नेताजी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादवद से मिली है।

 
खुमार मेमोरियल अकादमी के सचिव मो उमैर किदवई ने कहा कि खुमार साहब की सादगी और उनकी अपनी पहचान थी। सरल स्वभाव नरम लहज़ा उनको और मकबूल बना देती था। अपनी सादा जबान की वजह से वह आम जन में बेहद मकबूल हुए। उनकी विरासत को उनके पोते फैज़ खुमार आगे बढ़ा रहे हैं।  

सेमिनार में सदर विधायक धर्मराज सिंह उर्फ सुरेश यादव, डॉ अनीस अशफाक, वरिष्ठ पत्रकार हशमत उल्ला, इमरान अलियाबादी, वरिष्ठ सपा नेता शहाब खालिद ने भी अपने विचार व्यक्त किए।  

कार्यक्रम में जिला बार एसोसिए शन के अध्यक्ष हिसाल बारी किदवई, पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप सिंह बब्बन, वरिष्ठ पत्रकार तारिक खान, अकील अहमद, परवेज अहमद, फैज खुमार, अनवर महबूब किदवई, सलाहउद्दीन किदवई, जतिन चौधरी, हुमायूं नईम खान, डा, जावेद अहमद, सपा प्रवक्ता फराजुद्दीन किदवई, तारिक जिलानी, वीरेन्द्र प्रधान, हशमत अली गुड्डू, तौकीर कर्रार, नसीम कीर्ति, एस.एम हारिश आदि कई लोग मौजूद रहे। BARABANKI NEWS 
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