इस्लामिक सेन्टर में जेपीसी के चेयरमैन जगदम्बिका पाल के साथ हुई सुझावी बैठक बैठक हुई
Lucknow News.... इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया ईदगाह लखनऊ में वक़्फ़ बदलाव बिल 2024 के सिलसिले में ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमेटी के चेयरमैन जगदम्बिका पाल सदस्य पर्लियामेंट के साथ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया और अन्य उलामा , अधिवक्ता, बुद्धजीवियों को एक अहम् सुझावी बैठक हुई।
इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों की ओर से संयुक्त पार्लियामानी कमेटी के चेयरमैन को 20 बिन्दुओं पर आधारित एक ज्ञापन दिया। जिनमें विशेषकर ‘‘वक्फ बिलइस्तिमाल’’ को खत्म किये जाने, जरूरत से अधिक इख्तियार जिला कलेक्टर को दिये जाने, वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को शामिल किये जोन, इलेक्शन के बजाये नामांकन जैसे बिन्दुओं पर सख्त ऐतिराज किये गए हैं। ज्ञापन में इन बिन्दुओं को भारत के संविधान की धारा 14, 25, 26 और 29 की खुला उलंघन बताया गया है।
बैठक में शामिल होने वालों ने कहा कि वक्फ़ बदलाव बिल 2024 मुसलमानों के पक्ष में नही है। इस बिल में बहुत सी एैसी धारायें हैं जिनसे वक्फ के वुजूद को बहुत खतरा है। हम ज्वाइंट पार्लियामेन्ट कमेटी के वास्ते से सरकार से मॉग करते हैं कि इस बिल को तुरन्त वापस लिया जाये।
ज्वाइंट पार्लियामेंट कमेटी के चेयरमैन जगदम्बिका पाल ने इस अवसर पर कहा कि सरकार और पूरी पार्लियामेन्ट ने हम को यह बहुत अहम् जिम्मेदारी दी है। इस सिलसिले में हमारी कमेटी तमाम अहम् मुस्लिम तन्जीमों से मुलाकात कर रही है। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधि मण्डल के साथ भी हमारी बात चीत हुई है। उन्होने कहा कि यह मेरी खुश किस्मती है कि वक्फ जैसे अहम् मामले के सम्बन्ध में मुझ को जिम्मेदारी दी गयी है। मैं पूरी कौम को यह यकीन दिलाना चाहता हूं कि वक्फ के साथ कोई भी नाइंसाफी नही होने दी जायेगी। इस बिल के माध्यम से अवकाफ की हिफाजत, उनकी तामीर व तरक्की, यतीमों, बेवाओं और बेरोजगारों को अधिक से अधिक फायदा पहुंचाने की कोशिश की जायेगी। उन्होने कहा कि आज मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और अन्य लोगों ने जो सुझाव और प्रस्ताव दिये हैं उनको जेपीसी के सामने रखेगे।
मौलाना खलिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि अपनी मिलकियत की कोई चीज जैसे ज़मीन जायदाद वगैरा को अपनी मिलकियत से निकाल कर खुदा पाक की मिलकियत में इस तरह दे देना कि इस का लाभ खुदा पाक के बन्दों को मिलता रहे, उसको ‘‘वक्फ़’’ कहते हैं। वक्फ़ का हुक्म कुरान करीम, नबी पाक सल्ल0 की सुन्नत, और सहाबाक्राम के तरीके से साबित है।
उन्होने कहा कि वक्फ़ की हुई किसी भी चीज का सीधे खुदा पाक से सम्बन्ध होता है। इस लिए कोई बन्दा इस का मालिक नही हो सकता है। उन्होने कहा कि इस्लामी शरीअत ने वक्फ को सिर्फ इबादत गाहों तक ही नही रखा है बल्कि उसको जरूरत मन्दों, गरीबों, रिश्तेदारों और औलाद तक फैलाया है।
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि इस बिल में वक्फ बोर्ड के इख्तियार को कम किया गया है और अहम् फैसलों का इख्तियार कलेक्टर को दिया गया है। वक्फ एक्ट की धारा ‘‘वक्फ बिल इस्तिमाल’’ को खत्म करके मस्जिदों, कबिस्तानों और दरगाहों पर कब्जा करना आसान कर दिया है। उनहोने कहा कि इस बिल में सेन्ट्रल वक्फ कौनसिल और प्रदेश वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों की नुमाइनदगी को शामिल करना जरूरी किया गया है। यह मुसलमानों के साथ खुली हुई नाइंसाफी और अवकाफ पर बहुत बड़ जुल्म है।
मौलाना फरंगी महली ने कहा कि देश में जितनी भी वक्फ प्रापर्टीज हैं उनमें से लगभग 90 प्रतिशत मस्जिदों और कब्रिस्तानों की शक्ल में हैं जिन्हें न तो बेचा जा सकता है और न उनसे कोई आमदनी ही हो सकती है।
मौलाना सै0 जाफर मसूद हसनी नदवी सचिव नदवतुल उलमा लखनऊ ने कहा कि हमारे बुजुर्गो ने किसी और की नही बल्कि अपनी निजी जायदाद वक्फ की ताकि इस का फायदा लोगों को हमेशा मिलता रहे और वक्फ करने वाले को मरने के बाद भी इसका सवाब हासिल होता रहे। उन्होने कहा कि यह इस्लाम मजहब की बुनियादी शिक्षा के अनुसार है जिसको दुनिया भर के मुसलमान काबा शरीफ के स्थापना के बाद से आज तक बाकी रखे हुए हैं।
सै0 मो शुएैब अध्यक्ष अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ओल्ड ब्वायज़ एसोसिएशन लखनऊ ने अपनी तकरीर मेें कहा कि वक्फ़ प्रापर्टीज की संख्या को लेकर बड़े पैमाने पर गलत फहमियॉ फैलायी गयी है जबकि अगर सिर्फ इस सिलसिले में यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की मिसाल ली जाये तो यहॉ लगभए एक लाख बीस हजार औकाफ़ रजिस्टर्ड हैं। जिनमें मस्जिद 33048, कबिस्तान 63804, दरगाह 1045 मजार 4158 इमाम बाड़े कर्बला 4263 और मदरसे 2423 हैं। इनके अतिरिक्त पूरे उत्तर प्रदेश में अन्य औकाफ की संख्या 8926 है।
उन्होने कहा कि दूसरी सबसे बड़ी गलत फहमी इस वजह से भी पैदा हुई है कि हाल ही में जो जी आई एस मीटिंग हुई उसमें भी बड़े पैमाने पर खामियॉ है। हद यह है कि एक एक कब्र को एक एक वक्फ प्रापर्टी के तौर पर पेश किया गया है।
बैठक में सऊद रईस एडवोकेट हाई कोर्ट ने कहा कि अपने धार्मिक मकामात का इन्तिजाम अपनी धार्मिक हिदायत व रिवायत के अनुसार करने का अधिकार संवैधानिक अधिकार भारत के संविधान की धारा 26 ने हम सबको दिया है। उन्होने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में साफ फैसले दिये हैं कि जो एक बार वक्फ हो गया वह हमेशा वक्फ ही रहेगा।
जिया जिलानी ने कहा कि यह जितने भी संशोधन पेश किये गए हैं वह हमारे भारत के संविधान के खिलाफ हैं जो कि जाहिर हैं कि मुसलमानों के हक में नही है।
अमीक जामियी ने कहा कि वक्फ प्रापर्टी के व्यवस्था के लिए वक्फ एक्ट पहले से ही मौजूद हैं जिसमें किसी भी बदलाव की कोई जरूरत नही है।
मो0 गुफरान ने कहा कि मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह, यतीम खानों का इन्तिाज वक्फ बोर्ड के जरिये इस्लामी अकीदे, हिदायत व रिवायत के अनुसार किया जाता है इसमें किसी दूसरे धर्म के मानने वाले कैसे सदस्य बनाये जा सकते हैं।
सै0 अरशद आजमी ने बैठक में कहा कि वक्फ बदलाव बिल का ड्राफ्ट पढ़ने के बाद एैसा लगता है कि सरकार यह भूल गयी है कि वक्फ प्राप्रर्टीज मुसलानों की निजी प्राप्रर्टीज हैं। यह पब्लिक प्राप्रर्टीज नही हैं और न उन्हें पब्लिक की रकम से वक्फ किया गया है। इस मामले में सरकार को यह समझना चाहिए कि वक्फ प्राप्रर्टीज के इन्तिजाम और नई वक्फ प्राप्रर्टीज की तामीर व तरक्की में उस का कंट्रौल कम से कम होना चाहिए।
बैठक का संचालन मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी महासचिव इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया ने किया। मेंहमानों का शुक्रिया यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की सदस्य सबीहा अहमद ने अदा किया। इस अवसर पर दाऊद अहमद पूर्व सांसद, कलाम खान, अब्दुन्नसीर नासिर, मौलाना मो0 नस्रूल्लाह, मौलाना जफर उद्दीन, मौलाना मो0 फजान नगरामी, बिलाल नूरानी, डा0 शाकिर हाश्मी, अतहर नबी, अम्मार नगरामी, नजमुद्दीन अहमद फारूकी, अयाज अहमद के अलावा बड़ी संख्या में गढ़मान्य व्यक्त्यिों के साथ बुद्धजीवी भी शरीक थे।
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