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Barabanki: ...मगर फ़क़ीर कभी बद्दुआ नहीं देते...

 

Barabanki News...महाकवि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की जन्म शताब्दी के अवसर पर उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान एवं मसूरिया गरीब नवाज सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में अटल काव्य संध्या विशेष कवि सम्मेलन एवं मुशायरा बीती रात नगर पालिका हाल में संपन्न हुआ। प्रोग्राम की अध्यक्षता राज बहादुर सिंह ने की। मुख्य अतिथि के रूप में अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने की। मंच संचालन शहबाज़ तालिब ने किया। मौके पर समाज में सराहनीय कार्य कर रहे लोगों को अटल स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस मौके पर मो नईम, नेहा खान, डॉ नवाब कंबर कैसर, ई मो आमिर, अजय प्रधान, प्रदीप सारंग, कमरुद्दीन जुगनू, डॉ रियाज़ उल हक़ अंसारी, आफ़ाक़ अली, तारिक़ जीलानी आदि को अटल स्मृति सम्मान सम्मानित किया गया। इस मौके पर देश और प्रदेश के तमाम नामवर शोअरा ने अपने कलाम से सामइन का दिल जीत लिया। 

 कवि सम्मेलन में पसंद किए गए शेर निम्न है 

हम उनको भीख देते हैं, या नहीं देते 
 मगर फ़क़ीर कभी बद्दुआ नहीं देते 
 ये सोच कर ही ज़रा बैठ जाना इनके पास 
 कभी बुज़ुर्ग ग़लत मशविरा नहीं देते 
राम प्रकाश बेख़ुद 

हर कोई हमें सुन ले, हम वो तान नहीं हैं. 
आसान हैं पर इतने भी आसान नहीं हैं. 
होते हुए तुम्हारा हम हो जायें किसी के, 
नादान हैं पर इतने भी नादान नहीं हैं . 
महेश श्रीवास्तव 

आपस में रहो मिलके कभी भेद न करो
 खाओ जिस थाली में उसमे छेद न करो 
 एक बात हमेशा ही कहते थे अटल जी 
 मतभेद करो जमके मनभेद न करो 
सौरभ जायसवाल हास्य कवि 

राजधर्म के सफल पुरोधा, कविवर अटल बिहारी जी।
देश की खातिर फर्ज निभाए, प्रियवर अटल बिहारी जी।।
सभ्य, समर्पित, संस्कारमय,शुभ चिंतक अनुशासन के, 
भारत के वो सच्चे सेवक हितकर अटल बिहारी जी।। 
वंदना विशेष 

जिनका काम अटल है, जग में जिनपर दुनिया वारी जी। 
प्रखर प्रवक्ता कुशल प्रशासक शब्दों के भंडारी जी। 
जिनके मन मे भारत मां का मान सदा सबसे ऊंचा,
ऐसे भारत रत्न हमारे पंडित अटल बिहारी जी। 
योगेन्द्र योगी 

सच्चाई और हमको भलाई याद आए 
 एक पुरानी सच्ची रूबाई याद आए 
जब भी अटल बिहारी की बात आए तो 
हमें समुंदर की गहराई याद आए 
शकील जौनपुरी 

ज़हन में बस फरहाद रखूँगा 
हाल यूँ ही बर्बाद रखूँगा 
सारे पत्थर मेरे होंगे 
तब अपनी बुनियाद रखूँगा 
अभिश्रेष्ठ तिवारी

जब कोई मुहब्बत की रूदाद सुनाता है 
 मुझको भी तुम्हारा ग़म रह रह के रुलाता है 
रुखसार बलरामपुरी 

वो तो कहिए कि मुझे प्यास नहीं है 
वरना कितने दरिया मेरी ठोकर से निकल आयेंगे
शहबाज़ तालिब 

सभी वक्ताओं ने अटल जी के जीवन और उनकी कविताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। आयोजक असरार अहमद ने आए हुए सभी कवि व श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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