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Barabanki: कचरे में जीवन रक्षक दवाएं फेंकने का मामला-स्वास्थ्य विभाग का खंडन, गले नहीं उतर रही कहानी!

 

Barabanki News... जिले के कोटवाधाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जीवन रक्षक दवाओं के कचरे में फेंके जाने की खबर मीडिया में प्रकाशित होने के बाद स्वास्थय विभाग ने जांच कराने के बाद खबरों का खंडन किया है। स्वास्थ्य विभान ने पत्र जारी कर कहा है कि ये दवाएं एक गर्भवती महिला मरीज के द्वारा फेंकी गई हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि महिला के द्वारा कुल 10 स्ट्रिप्स दवाएं फेंकी गई हैं और इसके पीछे लंबी कहानी गढ़ी है, लेकिन सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें और वीडिय़ोज वायरल हो रहे हैं। उससे स्वास्थ्य महकमे की गले से नहीं उतर रही है।
आपको बता दें कि रविवार को कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों, चैनल्स और सोशल मीडिया पर कचरे में फेंकी गई जीवन रक्षक दवाएं के शीर्षक से खबरें प्रकाशित की गई थींं। इन खबरों की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की और उसके बाद मुख्य चिक्त्साधिकारी की तरफ से खबरों का खंडन किया गया।

   

सीएमओ की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि 27 अप्रैल को एक प्रतिष्ठित अखबार में प्रकाशित खबर शीर्षक "कचरे में फेंकी गयी जीवन रक्षक दवायें", एक प्रतिष्ठित चैनल एवं सोशल मीडिया में चलाये जा रही खबर "बाहर फेंक गयी दवाओं" जो कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोटवाधाम, ब्लाक-दरियाबाद के सम्बंध में है, के प्रकरण की अधीक्षक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दरियाबाद के द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार रूबी कश्यप पत्नी शिवप्रताप, उम्र-28 वर्ष निवासी तासीपुर, दरियाबाद, जो लगभग-06 माह की गर्भवती है, दो अप्रैल को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कोटवाधाम पर प्रसव पूर्व नियमित जांच कराने के लिये आयी थी। रूबी कश्यप को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात एएनएम खुशबू के द्वारा 10 स्ट्रिप आयरन की गोलियां (कुल 100 टेबलेट) दी गयी थी, जिसे लाभार्थी द्वारा चिकित्सालय परिसर में पीछे की तरफ फेंक दी गयी थी। प्रकरण की जांच करने पर लाभार्थी द्वारा बताया गया कि उक्त दवा के सेवन से उल्टी की शिकायत हो रही थी। जिस कारण से उक्त दवाओं को उपयोग न करके बिना किसी स्वास्थ्य कार्यकर्ता की जानकारी के यह दवाईयां फेंकी गयी है।" अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दरियाबाद के द्वारा अवगत कराया गया कि सम्बंधित समस्त स्वास्थ्य कर्मचारियों को सख्त आदेश पारित किया गया है कि दवा भण्डारण, वितरण एवं कालातीत दवाओं का निस्तारण नियमानुसार करना सुनिश्चित किया जाये अन्यथा की दशा में सम्बंधित के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी।
उधर सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें और वीडियोज वायरल हो रहे हैं, उससे स्वास्थ्य विभाग की कहानी गले से नहीं उतरती है। दरअसल सीएमओ दफ्तर की तरफ से जितनी स्ट्रिप्स दवाएं बताई गई हैं। तस्वीरों और वीडियोंज में उससे कहीं ज्यादा नजर आ रहे हैं। इससे स्वास्थ्य विभाग की कहानी गले से नीचे नहीं उतर रही है।

Case of throwing life saving drugs in Kacharan-The denial of the health department, the story is not embracing!

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