ताज़ा खबरें

7/recent/ticker-posts

Barabanki: मुस्लिम नीति पर घिर रही सपा, सोशल मीडिया पर फूट रहा गुस्सा, अपने भी उठा रहे सवाल

 

Barabanki News... मुस्लिमों के मुद्दे पर मौजूदा नीति से समाजवादी पार्टी घिरती जा रही है। नई सपा की नई हवा से सबसे ज्यादा मोह नवजवानों का भंग हो रहा है। इसके स्पष्ट उदाहरण सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं। सोशल मीडिया पर मुस्लिम युवक मुस्लिल नीति को लेकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। खास बात ये है कि सोशल मीडिया पर सपा के खिलाफ लिखने वालों में पुराने सपाई भी हैं। हालांकि ये विरोध पार्टी को कितना ओर कैसै नुकसान पहुंचाता है। इस पार बात करना जल्दबाजी होगी, लेकिन इतना तो तय है कि पार्टी को इसे मैनेज करने में पसीने जरूर छूटेंगे। 

 दरअसल प्रदेश का सबसे बड़ा विपक्षी दल और देश की चौथी सबसे बड़ी पार्टी सपा पिछले कुछ सालों से मुस्लिम नीति को लेकर सवालों के घेरे में हैं। मुस्लिम मुद्दों पर मुखर होने की बात हो, या सियासी हिस्सेदारी की हर मुद्दे पर सवाल ये उठता है कि पार्टी का सबसे बड़े वोट बैंक के लिए पार्टी की नीति स्पष्ट नहीं है। पार्टी मुस्लिमों का वोट तो चाह रही है,लेकिन पोलराइजेशन के खौफ में ना तो मुस्लिमों को सियासी हिस्सेदारी दे रही है और ना ही उनके मुद्दों पर मुखर हो रही है। इस मुद्दे को लेकर अब तक सपा के विरोधी सवाल उठा रहे थे, हालांकि उनकी तादाद बहुत कम थी। इसलिए उनके विरोध को तरजीह नहीं दी जाती थी, लेकिन अब आम आदमी और पार्टी से जुड़े लोग भी पार्टी के मुस्लिमों के प्रति रुख पर आवाज बुलंद करने लगे हैं। इसका सबसे अहम केंद्र सोशल मीडिया बन रहा है। लोग रील और पोस्ट के जरिए सपा की पोल खोल रहे हैं।
सपा के संस्थापक सदस्य आजम के प्रति पार्टी के रुख भी मुस्लिमों में नाराजगी की वजह बन रहा है। इस मामले को लेकर सपा के ही कार्यकर्ता ने रामजी लाल सुमन के लिए पार्टी के रुख और आजम खान के लिए पार्टी के रुख की तुलना की है। फेसबुक सपा कार्यकर्ता ने लिखा, "समाजवादी पार्टी का बड़ा नाम आजम खान साहब, जिनके साथ पार्टी दोहरा चरित्र निभा रही है, जो आंदोलन पूरे प्रदेश में रामजी लाल सुमन जी के लिए हुआ। अगर यह आंदोलन आजम खान के लिए हुआ होत, तो शायद उनके ऊपर इतने सारे झूठे मुकदमे ना लगाए गए होते। कहने को तो पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, लेकिन नजर किसी को नहीं आ रही, लगता है उसे मिस्टर इंडिया का गैजेट मिल गया है। ना तो गठबंधन और ना ही पार्टी के बड़े नेता उनके लिए कुछ बोल रहे हैं। जो हर वक्त उनकी दहलीज पर नतमस्तक हुआ करते थे। खुद में झांकिए और अगर ज़मीर की जरा सी भी बूंद बची हो और सच्चे समाजवादी हो तथा पार्टी के हितेषी हों तो उनके लिए भी आवाज बुलंद करिए। उन्होंने पार्टी को एक परिवार की तरह बांधे रखा, हर मुश्किल परिस्थिति में पार्टी का साथ दिया। और विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी सभी विधानसभाओं की सीटों को जिताकर पार्टी की झोली में डाला। यह रहे.....आजम खान सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि एक सोच और एक विचारधारा है जो न सिर्फ प्रदेश में बल्कि पूरे देश में बह रही है और सही वक्त का इंतजार कर रही" 111 सपा कार्यकर्ता के इस पोस्ट पर जो कमेंट्स आए हैं, उनसे इस बात की पुष्टि हो जाती है कि सपा की मुस्लिमों की प्रति नीति में दाल में कुछ काला है। जो इस बात का इशारा करती है कि सपा की मुस्लिन नीति हांथी दांत की तरह है, जो खाने के कुछ,और खाने के कुछ और हैं।

   

सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए ही मुस्लिम युवा सपा की पोल नहीं खोल रहे हैं। रील के जरिए भी वो अपने साथ हुए धोखे को बयान कर रहे हैं। हाल ही में अलीगढ़ में मुस्लिम युवकों के साथ मॉब लिंचिंग को लेकर एक युवा ने रील बनाकर ना सिर्फ सपा की मुस्लिम नीति पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सपा का खुले तौर पर विरोध किया है। आप वीडियो में देखकर समझ सकते हैं कि सपा के प्रति मुस्लिमों का गुस्सा किस हद तक पहुंच रहा है। 

खैर ये तो सिर्फ सोशल मीडिया की बात है। इससे चुनावों पर कितना असर पड़ता है इस पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती। क्यूंकि एक दल विशेष के बेजा खौफ में मुस्लिम तबके के पास कोई विकल्प नहीं है। मुस्लिम तब्के की हालत इस मामले में उस गाय की तरह है, जो दिन भर में कहीं रहे, लेकिन दूध देने के वक्त वो अपने मालिक के पास ही पहुंचती है। ऐसे में इऩ विरोधों का असर कितना होता है, ये देखने की बात है, लेकिन इस तरह के विरोध सपा के लिए आऩे वाले समय में मुसीबत जरूर बनेंगे।

 Anger erupts on social media as SP slams Muslim policy

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ