रिपोर्ट-नितेश मिश्रा
Barabanki News... इऩोवेशन आज के दौर में बदलाव का बड़ा हथियार है। ये ऐसा हथियार है, जो एक नहीं, कई लोगों की जिंदगी बदल देता है। जिले में भी एक शख्स ऐसा है, जो एक नए विचार से दर्जनों लोगों की जिंदगी में खुशियों के दीपक जला रहा है। इस शख्स ने मामूली से चीज़ मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन में नए प्रयोग किए और अब ये प्रयोग किए। जिसकी वजह से उसे नई पहचान मिली और अब उसके साथ सैकड़ों लोगों के लिए शहद से समृद्धि के द्वार खुल गए हैं। जिले फतेहपुर तहसील क्षेत्र के विशुनपुर, जलालपुर, रजौली और देवा ब्लॉक में दर्जनों स्वयं सहायता समूह (SHG) इन दिनों निमित सिंह के साथ कंधे से कंधाम मिलाकर शहद और वैक्स उ्तपादों के काम में एक मिशन की तरह लगे हुए हैं। इन समूहों में महिलाएं स्थानीय मिट्टी, बी वैक्स और प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर 16 से अधिक प्रकार की कैंडल और गिफ्ट पैक बना रही हैं। जिन गांवों में महिलाएं कभी खाली समय में सिर्फ घर के काम करती थीं, वहां की महिलाएं अब यूरोप तक अपनी पहचान बना रही हैं। शहद, बी वैक्स रोल कैंडल और मिट्टी के दीये बनाने का यह अभियान न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की मिसाल है, बल्कि किसानी आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था का नया मॉडल भी बन गया है।
इस अभियान के पीछे हैं ,निमित सिंह, जो पेशे से मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ (बीकीपर) हैं और “मधुस्रोत” ब्रांड के माध्यम से ग्रामीण उत्पादों को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं, निमित्त ने इंजीनियरिंग के बाद MBA की पढ़ाई की उसके बाद मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी की तलाश में गए, थोड़े ही समय में निमित ने उन्नत किसान के रूप में अपनी नई पहचान बनाने का प्रण लिया।
निमित सिंह बताते हैं कि हमने पहले किसानों को सिखाया कि कैसे खेत की मेड़ों और जंगल किनारे मधुमक्खी पालन से अतिरिक्त आमदनी ली जा सकती है। बाद में यही वैक्स (मोम) महिलाओं को दी गई, जिनसे उन्होंने रोल कैंडल और सजावटी दीपक बनाए। अब यही उत्पाद यूरोप में बिक रहे हैं।
निमित की मेहनत रंग लाई और विदेशों तक देसी उत्पाद पहुंचाने में सफल रहे, फतेहपुर, निन्दूरा की महिलाओं द्वारा बनाए गए दीपक और बी वैक्स रोल कैंडल की डिमांड अब यूरोप, यूके और दुबई तक पहुंच गई है। विंध्यवासिनी महिला समूह द्वारा तैयार किए गए “हनी-गिफ्ट पैक” और बी वैक्स कैंडल्स की पहली खेप हैदराबाद, कोलकाता, दिल्ली, लखनऊ और गुजरात से होकर निर्यात की तैयारी में है।
निमित सिंह का ये सफर ग्रामीण भारत का नया मॉडल प्रस्तुत करता है, जिले का ये मॉडल यह साबित करता है कि किसानी सिर्फ अनाज तक सीमित नहीं, बल्कि शहद, फूल, वैक्स और हस्तशिल्प से भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है। आज इन गांवों में दीपक की लौ सिर्फ अंधकार मिटाने के लिए नहीं जल रही वह महिलाओं के आत्मविश्वास, किसानों की मेहनत और निमित सिंह जैसे युवा किसान की नवाचार भावना की प्रतीक बन चुकी है।
Honey to prosperity - Nimit's innovation proven, women are developing

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