Barabanki News... मध्य प्रदेश (MP) के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय के देवा मेले के मुशायरे में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने से जिले का सियासी पारा बढ़ गया है। कयासों का बाजार गर्म हो गया। नई संभावनाओं से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में खलबली से मच गई है। इसके साथ ही एक जाति विशेष नेता को भी इस दौरे से अपना प्रभाव दरकता महसूस हो रहा है। ऐसे में सवाल हो रहे हैं कि MP के दिग्विजय सिंह जिले की सियासी बिसात पर कौन सी गोट बस रहे हैं?
जिले में देवा मेला मुशायरा 15 अक्टूबर से प्रस्तावित था। अदब की शौकीनों की नज़रें यहां आने वाले शोअरा की लिस्ट पर थी। हर तरफ चर्चा ये था कि कौन-कौन से शायर इस बार यहां आकर अपना कलाम पेश करेंगे, लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर देवा मेला मुशायरे के मुख्य अतिथियों का एलान किया गया। इऩमें MP के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और फिल्म मेकर मुजफ्फर अली के नाम की घोषणा की गई। इसके बाद से जिले में सियासी कयासआराईयों का दौर शुरू हो गया। भले ही दिग्विजय सिंह को बुलाने का मकसद जो भी रहा हो, लेेकिन आम आदमी से लेकर माहरीन तक ने इसमें सियासी संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दीं। माहरीन के तर्कों में दम भी हैं। उनके कयासों को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
दरअसल देवा मेला कमेटी में पिछले कुछ दिनों से ऐसा कुछ रहा है, जिससे सियासी संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। मई माह में देवा मेला कमेटी की सदस्यता के तौर दिग्विजय सिंह की बेटी और रामनगर स्टेट की रानी मृणालिनी सिंह निर्वाचित हुईं। उसी वक्त से ये सियासी अटकलें तेज हो गईं थी देवा मेला कमेटी के सदस्य बनने के साथ ही रानी मृणालिनी सिंह सियासी मैदान में कूदने जा रही हैं। पूरे देवा मेला भर रानी मृणालिनी सिंह खूब सक्रिय भी रहीं और चर्चित भी। अब रानी मृणालिनी सिंह जिले में किसी पहचान की मोहताज नहीं रहीं। इसके बावजूद दिग्विजय सिंह की इंट्री से पहले तक उनका कोई सियासी महत्व नहीं माना जा रहा था, लेकिन जैसे ही दिग्विजय सिंह के देवा मेला मुशायरे के मुख्य अतिथि होने का एलान किया गया। सियासी कयास आराईयां जंगल में आग की तरह फैलीं। इससे काग्रेस में तो खलबली हुई ही, सपा की धड़कनों में इजाफा हो गया। इतना ही नहीं मृणालिनी सिंह के सजाति नेताओं का भी ब्वड प्रेशर तेजी से बढ़ने लगा। कांग्रेस में जहां खलबली टिकट चाहने वालों में बढ़ी, वहीं सपा की धड़कनों में इजाफे की वजह कई रहीं। पहली वजह ये कि गठबंधन के बगैर रानी मृणालिनी सिंह रामनगर विधानसभा चुनाव में उतरीं (जैसे की कयास लगाए जा रहे हैं), तो रानी क्षत्रिय और मुस्लिम समाज में लोकप्रियता और दिग्विजय सिंह जैसे नाम का प्रभाव रामनगर सपा के सियासी समीकरणों बड़ी सेंधमारी करेगा और नतीजों को भी प्रभावित करने का दम रखेगा।
दूसरी वजह ये कि दिग्विजय सिंह की मुलायम और अखिलेश परिवार से निकटता की वजह से गठबंधन से उनकी उम्मीदवारी बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। इसकी वजह से सपा के मौजूदा विधायक और पार्टी के पारंपरिक उम्मीदवारों में से किसी एक का टिकट जरूर कटेगा। इसकी वजह से सपा में खलबली मचना लाजमी भी है। मतलब ये कि रानी की सियासी इंट्री का सबसे ज्यादा असर सपा पर ही पड़ेगा।
रानी मृणालिनी सिंह की इंट्री सिर्फ सियासी समीकरणों को ही प्रभावित नहीं करेगी। उनके सजातीय नेताओं के वर्चस्व और प्रभाव पर भी असर डालेगी। इसके केंद्र में भी दिग्विजय का रुतबा तो होगा ही, इसके साथ रानी मृणालिनी सिंह के परिवार का प्रभाव भी उनकी मदद करेगा। फिलहाल ये तमाम बातें अभी सिर्फ कयास हैं, लेकिन ये भी सच है कि सियासत में कुछ भी स्थिर नहीं है। यहां किसी भी संभावना से इऩकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अगर कयास सही हुए, तो जिले की सियासी दिशा और दशा बदली जरुर होगी।

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